लेंज का नियम(Lenz's law in hindi)
आज की इस पोस्ट में हम पढेंगे physics के महत्वपूर्ण topic लेंज का नियम क्या है? लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुकूल है|
इससे पहले वाली पोस्ट में हमने विद्युत चुंबकीय प्रेरण के बारे में पढ़ा था| फैराडे ने चुंबक और कुण्डली के साथ कई प्रयोग किये और उन्होंने ज्ञात किया कि जब एक कुण्डली और एक चुंबक के बीच आपेक्षिक गति कराई जाती है तो कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है| यदि कुंडली बंद हो तो उसमें विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, जिसे प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं| इस घटना को विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है|
फैराडे ने विद्युत चुंबकीय प्रेरण से संबंधित दो नियम भी दिए उनके बारे में भी आप पढ़ सकते हैं|👇
फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम|
लेंज का नियम क्या है?(lenj ka Niyam kya hai)
फैराडे ने अपने प्रयोगों से यह तो बता दिया की कुण्डली में प्रेरित धारा प्रवाहित होने लगती है लेकिन उसकी दिशा के संबंध में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी|
प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए लेंज ने नियम दिया अत: लेंज के नियमानुसार –“ विद्युत चुंबकीय प्रेरण कि प्रत्येक अवस्था में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा इस प्रकार की होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण वह स्वयं उत्पन्न हुई है|”
लेंज के नियम की व्याख्या(lenj ke Niyam ki Vyakhya)
जब एक चुंबक के उत्तरी ध्रुव( N – ध्रुव) को कुण्डली के पास लाते हैं तो कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है| इस प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि वह चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली के पास लाने का विरोध कर सकें| यह तभी संभव है जब चुंबक की ओर का कुण्डली का तल उत्तरी ध्रुव(N – ध्रुव) की भांति कार्य करें| अतः कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त(anticlockwise) होगी| चित्र (a) के अनुसार|
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Lenj ka niyam |
जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव(N – ध्रुव) को कुण्डली से दूर ले जाया जाता है तो पुनः कुण्डली में विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है| इस प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि वह चुंबक के दूर जाने का विरोध कर सकें| यह तभी संभव है जब चुंबक की ओर का कुण्डली का तल दक्षिणी ध्रुव(S – ध्रुव) की भांति कार्य करें| अतः कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त (Clockwise) होगी| चित्र (b) के अनुसार|
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुकूल है-
जब एक चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली के पास लाया जाता है तब कुण्डली में उत्तरी ध्रुव उत्पन्न हो जाता है| फलस्वरुप चुंबक और कुण्डली के मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है| इस प्रकार चुंबक को कुंडली के पास लाने में प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है यही कार्य प्रेरित धारा के रूप में प्राप्त होता है|चित्र (a)
जब एक चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाया जाता है तब कुण्डली में दक्षिणी ध्रुव उत्पन्न हो जाता है फल स्वरुप चुंबक और कुण्डली के मध्य आकर्षण बल कार्य करने लगता है| चुंबक को कुण्डली से दूर ले जाने में इस आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है| यही कार्य प्रेरित धारा के रूप में प्राप्त होता है| चित्र (b)
अत: लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुकूल है|
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