प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन| उदाहरण| उपयोग|total internal reflection
प्रकाश का अपवर्तन और अपवर्तनांक
पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है?(total internal reflection in hindi)
Total internal reflection |
यदि आपतन कोण के मान को बढ़ाते जाएं तो अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ने लगता है| आपतन कोण के एक विशेष मान पर अपवर्तन कोण का मान 90° के बराबर हो जाता है| आपतन कोण का यह विशेष मान क्रांतिक कोण(critical angle) कहलाता है|(चित्र b)
अब यदि आपतन कोण के मान को क्रांतिक कोण के मान से और बढ़ाया जाए तो प्रकाश किरण विरल माध्यम में न जाकर सघन माध्यम में परावर्तित हो जाती है| इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं|(चित्र c)
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की परिभाषा( definition of total internal reflection) :
जब कोई प्रकाश-किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है और यदि आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होता है, तो प्रकाश-किरण विरल माध्यम में न जाकर सघन माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है| इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन( total internal reflection) कहते हैं|2. आपतन कोण के मान को क्रांतिक कोण के मान से सदैव अधिक होना चाहिए|
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण(examples of total internal reflection)
1.हीरे का चमकना- हीरे का चमकना पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होता है| हीरे का अपवर्तनांक 2.42 होता है, जिसके लिए क्रांतिक कोण का मान बहुत ही कम(लगभग 24.41°) होता है| जब प्रकाश हीरे के अंदर प्रवेश करता है, तो क्रांतिक कोण का मान कम होने के कारण बार-बार उसका पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है जिसके कारण हीरा चमकदार दिखाई देता है|2.रेगिस्तान में मरीचिका(Mirage) – रेगिस्तान में दिन के समय यात्रियों को कुछ दूरी पर जलाशय या झील दिखाई देती है| उसमें आसपास के पेड़ पौधों के प्रतिबिंब ऐसे दिखाई देते हैं जैसे वे पानी के किनारे हों| किंतु वहां पहुंचने पर जलाशय नहीं होता है| इस दृष्टिभ्रम को ही मरीचिका(mirage) कहते हैं|
ऐसा क्यों होता है?
रेगिस्तान में दिन के समय सूर्य की गर्मी से रेत गर्म हो जाती है, जिससे उसके समीप की वायु पर्त गर्म होकर विरल हो जाती है| ऊपर जाने पर वायु की सघनता क्रमशः बढ़ने लगती है | किसी पेड़ से नीचे की ओर चलने वाली किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है अतः अभिलंब से दूर हट जाती है| एक स्थिति ऐसी आती है जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक हो जाता है जिससे उनका पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है| अब प्रकाश किरणे नीचे से ऊपर की ओर विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है जिससे अभिलंब की ओर झुकती जाती है| जब ये किरणें आंख में प्रवेश करती है तो वृक्ष का उल्टा प्रतिबिंब दिखाई देता है| वायु-पर्तो का घनत्व कुछ ना कुछ परिवर्तित होता रहता है| अतः वृक्ष का प्रतिबिंब स्थिर न रहकर हिलता हुआ दिखाई देता है, जिससे यात्रियों को वहां जलाशय होने का भ्रम होता है|
3.ठंडे प्रदेशों में समुद्र तट पर खड़े व्यक्ति को दूर से आता हुआ जहाज ऊपर वायु में उल्टा लटका हुआ दिखाई देता है| इस दृष्टि भ्रम को ठंडे प्रदेशों की मरीचिका कहते हैं| इसका कारण भी प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन है|
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उपयोग( uses of total internal reflection)
1. पूर्ण परावर्तक प्रिज्म में (total reflection prism) – यह कांच का एक समकोणिक समद्विबाहु प्रिज्म होता है जिसका एक कोण 90° तथा शेष दो कोण 45° के होते हैं| इस प्रिज्म का अपवर्तनांक 1.5 होता है तथा वायु के सापेक्ष इसके क्रांतिक कोण का मान 42° के बराबर होता है| इस प्रिज्म की सहायता सेेेेे प्रकाश किरण को समकोण(90°) पर मोड़ा जा सकता है|2. प्रकाशिक तंतु(optical fibre) – प्रकाशिक तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर आधारित एक ऐसी युक्ति होती है जिसकी सहायता से प्रकाश सिग्नल को उसी तीव्रता के साथ सीधे या टेढ़े- मेढ़े मार्ग से अल्प दूरी या लंबी दूरी तक ले जाया जा सकता है|
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