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मंगलवार, 29 सितंबर 2020

प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन| उदाहरण| उपयोग|total internal reflection

प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन| उदाहरण| उपयोग|total internal reflection

आज की इस पोस्ट में हम प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन (purn aantrik pravartan) की घटना के बारे में पढ़ने वाले हैं| पूर्ण आंतरिक परावर्तन की शर्तें , उदाहरण और उपयोग के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको मिलने वाली है|
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के बारे में पढ़ने से पहले आपको प्रकाश के अपवर्तन के बारे में पता होना चाहिए| प्रकाश के अपवर्तन से संबंधित आप हमारी इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं|👇

प्रकाश का अपवर्तन और अपवर्तनांक

पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है?(total internal reflection in hindi) 

प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन| उदाहरण| उपयोग|total internal reflection, internal reflection
Total internal reflection
हम जानते हैं कि जब प्रकाश- किरण सघन माध्यम से चलकर विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अभिलंब से दूर हट जाती है| इस स्थिति में अपवर्तन कोण का मान आपतन कोण से अधिक होता है|( चित्र a)
यदि आपतन कोण के मान को बढ़ाते जाएं तो अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ने लगता है| आपतन कोण के एक विशेष मान पर अपवर्तन कोण का मान 90° के बराबर हो जाता है| आपतन कोण का यह विशेष मान क्रांतिक कोण(critical angle) कहलाता है|(चित्र b)

अब यदि आपतन कोण के मान को क्रांतिक कोण के मान से और बढ़ाया जाए तो प्रकाश किरण विरल माध्यम में न जाकर सघन माध्यम में परावर्तित हो जाती है| इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं|(चित्र c)

पूर्ण आंतरिक परावर्तन की परिभाषा( definition of total internal reflection) :

जब कोई प्रकाश-किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है और यदि आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होता है, तो प्रकाश-किरण विरल माध्यम में न जाकर सघन माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है| इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन( total internal reflection) कहते हैं|

पूर्ण आंतरिक परावर्तन की शर्तें(purn aantrik paraavartan ki sharte):
1. प्रकाश-किरण को सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना चाहिए|
2. आपतन कोण के मान को क्रांतिक कोण के मान से सदैव अधिक होना चाहिए|

पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण(examples of total internal reflection) 

1.हीरे का चमकना- हीरे का चमकना पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होता है| हीरे का अपवर्तनांक 2.42  होता है, जिसके लिए क्रांतिक कोण का मान बहुत ही कम(लगभग 24.41°) होता है| जब प्रकाश हीरे के अंदर प्रवेश करता है, तो क्रांतिक कोण का मान कम होने के कारण बार-बार उसका पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है  जिसके कारण हीरा चमकदार दिखाई देता है|

2.रेगिस्तान में मरीचिका(Mirage) – रेगिस्तान में दिन के समय यात्रियों को कुछ दूरी पर जलाशय या झील दिखाई देती है| उसमें आसपास के पेड़ पौधों के प्रतिबिंब ऐसे दिखाई देते हैं जैसे वे पानी के किनारे हों| किंतु वहां पहुंचने पर जलाशय नहीं होता है| इस दृष्टिभ्रम को ही मरीचिका(mirage)  कहते हैं|
 ऐसा क्यों होता है?
रेगिस्तान में दिन के समय सूर्य की गर्मी से रेत गर्म हो जाती है, जिससे उसके समीप की वायु पर्त गर्म होकर विरल हो जाती है| ऊपर जाने पर वायु की सघनता क्रमशः बढ़ने लगती है | किसी पेड़ से नीचे की ओर चलने वाली किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है अतः अभिलंब से दूर हट जाती है| एक स्थिति ऐसी आती है जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक हो जाता है जिससे उनका पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है| अब प्रकाश किरणे नीचे से ऊपर की ओर विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है जिससे अभिलंब की ओर झुकती जाती है| जब ये किरणें आंख में प्रवेश करती है तो वृक्ष का उल्टा प्रतिबिंब दिखाई देता है| वायु-पर्तो का घनत्व कुछ ना कुछ परिवर्तित होता रहता है| अतः वृक्ष का प्रतिबिंब स्थिर न रहकर हिलता हुआ दिखाई देता है, जिससे यात्रियों को वहां जलाशय होने का भ्रम होता है|

3.ठंडे प्रदेशों में समुद्र तट पर खड़े व्यक्ति को दूर से आता हुआ जहाज ऊपर वायु में उल्टा लटका हुआ दिखाई देता है| इस दृष्टि भ्रम को ठंडे प्रदेशों की मरीचिका कहते हैं| इसका कारण भी प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन है|

4. पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण ही पानी के अंदर वायु का बुलबुला चमकदार दिखाई देता है|

5. पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण ही चटके हुए काँच में पड़ी दरार चमकदार दिखाई देती है, क्योंकि उत्पन्न दरार में वायु की पतली पर्त आ जाती है| इस प्रकार जब प्रकाश किरणें काँच(सघन माध्यम) से वायु(विरल माध्यम) में प्रवेश करती है तो जिन किरणों का आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक होता है, वे किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तित होकर आँख में प्रवेश करती है जिससे काँच का चटका हुआ भाग चमकदार दिखाई देता है|

पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उपयोग( uses of total internal reflection) 

1. पूर्ण परावर्तक प्रिज्म में (total reflection prism) – यह कांच का एक समकोणिक समद्विबाहु प्रिज्म होता है जिसका एक कोण 90° तथा शेष दो कोण 45° के होते हैं| इस प्रिज्म का अपवर्तनांक 1.5 होता है तथा वायु के सापेक्ष  इसके क्रांतिक कोण का मान 42° के बराबर होता है| इस प्रिज्म की सहायता सेेेेे प्रकाश किरण को समकोण(90°) पर मोड़ा जा सकता है|
2. प्रकाशिक तंतु(optical fibre) – प्रकाशिक तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर आधारित एक ऐसी युक्ति होती है जिसकी सहायता से प्रकाश सिग्नल को उसी तीव्रता के साथ सीधे या टेढ़े- मेढ़े मार्ग से अल्प दूरी या लंबी दूरी तक ले जाया जा सकता है|
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