विद्युत वाहक बल और टर्मिनल विभवांतर(वोल्टता)|electromotive force in hindi
विद्युत वाहक बल, सूत्र, मात्रक और विमीय सूत्र
हम जानते हैं कि जब किसी सेल को बाह्य परिपथ से जोड़ा जाता है तो बाह्य परिपथ में विद्युत धारा सेल के धन ध्रुव से ऋण ध्रुव की ओर तथा सेल के अंदर ऋण ध्रुव से धन ध्रुव की ओर प्रवाहित होने लगती है| इस परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए ऊर्जा व्यय करनी पड़ती है यह ऊर्जा सेलों के रासायनिक क्रिया के फल स्वरुप उत्पन्न होती है|
विद्युत वाहक बल की परिभाषा(Vidyut vahak Bal ki paribhasha):
एकांक आवेश को पूरे विद्युत परिपथ में प्रवाहित करने पर जितनी ऊर्जा व्यय होती है उसे सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं| इसे E से प्रदर्शित करते हैं तथा इसे संक्षिप्त में वि. वा. बल (e.m.f) लिखा जाता है|
(या)
एकांक आवेश को पूरे विद्युत परिपथ में चलाने के लिए जितना कार्य करना पड़ता है उसे उस सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं|
यदि Q आवेश को किसी विद्युत परिपथ में चलाने के लिए W कार्य करना पड़े तो उस सेल का विद्युत वाहक बल(e.m.f)
E = W/ Q
यह परिभाषा विभवांतर की परिभाषा के तुल्य है|
जब सेल खुले परिपथ में होता है तो उसके इलेक्ट्रोडों के मध्य अधिकतम में विभवांतर को ही सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं|
विद्युत वाहक बल का मात्रक और विमीय सूत्र(Vidyut vahak Bal ka matrak Or vimiy sutra):
विद्युत वाहक बल का S. I. मात्रक वोल्ट या जूल/कूलॉम है|
विमीय सूत्र:-
E = W/ Q
E का विमीय सूत्र =W का विमीय सूत्र/Q का विमीय सूत्र
= ML²T-² / AT
= [ ML²T-³A-¹ ]
सेल का टर्मिनल विभवांतर(टर्मिनल वोल्टता):
जब सेल बंद परिपथ में होता है अर्थात जब सेल से धारा ली जाती है तो बाह्य परिपथ में एकांक आवेश को प्रवाहित करने में व्यय हुई ऊर्जा को सेल का टर्मिनल विभवांतर कहते हैं| इसे V से प्रदर्शित करते हैं| सेल का टर्मिनल विभवांतर सदैव उसके विद्युत वाहक बल( वि. वा. बल) से कम होता है|
विद्युत वाहक बल और विभवांतर में अंतर( difference between electromotive force and potential difference):
विद्युत वाहक बल:-
1. जब सेल खुले परिपथ में हो तब सेल के दोनों ध्रुवो के बीच अधिकतम विभवांतर को विद्युत वाहक बल कहते हैं|
2. विद्युत वाहक बल विभवांतर से बड़ा होता है|
3. किसी सेल का विद्युत वाहक बल परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता है|
4. विद्युत परिपथ भंग होने पर भी इसका अस्तित्व रहता है|
5. विद्युत वाहक बल के कारण किसी विद्युत परिपथ में धारा प्रवाहित होती है|
6. इस शब्द का प्रयोग विद्युत स्त्रोतों जैसे- जनरेटर, सेल, बैटरी इत्यादि के लिए किया जाता है|
विभवांतर:-
1.विद्युत परिपथ के किन्ही दो बिंदुओं के विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं|
2. विभवांतर सदैव विद्युत वाहक बल से छोटा होता है|
3. परिपथ के किन्ही दो बिंदुओं के बीच का विभवांतर उन दोनों बिंदुओं के बीच लगे प्रतिरोध के मान पर निर्भर करता है|
4. विद्युत परिपथ भंग होने पर इसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है|
5. परिपथ में धारा प्रवाहित होने के फलस्वरूप विभवांतर उत्पन्न होता है|
6. इस शब्द का उपयोग परिपथ के किन्ही दो बिंदुओं के लिए किया जाता है|
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