विद्युत चुंबकीय प्रेरण( electromagnetic induction in hindi) :
विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव क्या है(vidyut dhara ka chumbkiya prabhav) :
जैसा कि हम जानते हैं विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव की खोज ओर्स्टेड ने की थी|ओर्स्टेड ने सन् 1820 मैं ज्ञात किया कि जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है| इसे ही विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं|
ओर्स्टेड कि इसी खोज से प्रभावित होकर माइकल फैराडे ने सोचा कि विद्युत धारा से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है तो चुंबकीय क्षेत्र से भी विद्युत धारा उत्पन्न हो जानी चाहिए|
इस संबंध में उन्होंने एक चुंबक और कुंडली के साथ कई प्रयोग किए और लगभग 11 वर्षों के प्रयासों के बाद सन् 1831 मैं उन्होंने ज्ञात किया कि चुंबकीय क्षेत्र से भी विद्युत क्षेत्र उत्पन्न किया जा सकता है|
विद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिभाषा(definition of electromagnetic induction in hindi) :
फैराडे ने जो 11 वर्षों तक चुंबक और कुंडली के साथ प्रयोग किए तो उन्होंने ज्ञात किया कि –“ जब एक चुंबक और कुंडली के मध्य आपेक्षिक गति कराई जाती है तो उस कुंडली में विद्युत वाहक बल( electromotive force) उत्पन्न हो जाता है जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं| यदि कुंडली बंद है तो उस में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, जिसे प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं| यह घटना विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाती हैं|”
Electromagnetic induction |
विद्युत चुंबकीय प्रेरण से संबंधित फैराडे के प्रयोग (Faraday's experiments of electromagnetic induction):
फैराडे ने तांबे के विद्युतरोधी तार की एक कुण्डली बनाकर उसके दोनों सिरों के मध्य धारामापी को जोड़ा और एक चुम्बक को कुण्डली के पास लाकर तथा दूर ले जाकर निम्न प्रेक्षण प्राप्त किये-
1.जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव(N -ध्रुव) को कुण्डली के पास लाते हैं तो धारामापी में एक दिशा में विक्षेप होने लगता है| तथा यदि उत्तरी ध्रुव को चुंबक से दूर ले जाते हैं तो धारामापी में पुनः विपरीत दिशा में विक्षेप होने लगता है|
2.अब यही प्रक्रिया यदि दक्षिणी ध्रुव(S-ध्रुव) के साथ करें तब भी धारामापी में विक्षेप होता है, किंतु विक्षेप की दिशा उत्तरी ध्रुव को पास लाने और दूर ले जाने पर होने वाले विक्षेप की दिशा के विपरीत होती है|
3.चुंबक को रोक देने पर विक्षेप शून्य हो जाता है |अतः धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होता है|
4.यदि चुम्बक को तेजी से कुंडली के पास लायें या कुंडली से दूर ले जायें तो विक्षेप अधिक होता है|
5.यदि कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ा दी जायें तो विक्षेप का मान भी बढ़ जाता है|
6.चुंबक को स्थिर रखकर कुण्डली को चुंबक के पास लाने या दूर ले जाने पर भी धारामापी में विक्षेप होता है|
इन सभी प्रेक्षणों से फैराडे ने निष्कर्ष निकाला कि चुंबक और कुण्डली के मध्य आपेक्षिक गति होने पर ही धारामापी में विक्षेप होता है|( अतः कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है)
चुंबक और कुण्डली की गति को रोक देने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होता है|
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