किरचॉफ के प्रथम और द्वितीय नियम (kirchhoff ke niyam)
आज की इस पोस्ट में हम physics के महत्वपूर्ण topic किरचॉफ के विद्युत वितरण संबंधी नियम (kirchhoff law in hindi) पढ़ने वाले हैं| यदि हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगे तो कमेंट करे और पोस्ट को शेयर करे|
kirchhoff ke niyam |
किरचॉफ का प्रथम नियम या संधि नियम (first law or junction law) :
इस नियम के अनुसार “ किसी विद्युत परिपथ के किसी भी संधि पर मिलने वाली समस्त विद्युत धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है|”
अर्थात् ∑I =0
इस नियम के अनुसार, संधि की ओर आने वाली विद्युत धाराएँ धनात्मक तथा संधि से दूर जाने वाली विद्युत धाराएँ ऋणात्मक ली जाती है|
चित्र (a) में किसी विद्युत संधि O पर तीर की दिशा में विद्युत धाराएँ प्रवाहित हो रही है|
( I1 , I2 और I3 धाराएँ संधि की और प्रवेश कर रही है अतः ये धनात्मक होगी| I4 , I5 और I6 धाराएँ संधि से बाहर की ओर जा रही है अतः ये ऋणात्मक होगी|)
I1 + I2 + I3 +(-I4 ) + (-I5 )+ ( -I6 )= 0
I1 + I2 + I3- I4 -I5 – I6 = 0
I1 + I2 + I3 = I4 + I5 + I6
किरचॉफ के प्रथम नियम को इस प्रकार से भी लिखा जा सकता है –“ विद्युत परिपथ के किसी संधि पर प्रवेश करने वाली समस्त विद्युत धाराओं का योग इस संधि से निकलने वाली समस्त विद्युत धाराओं के योग के बराबर होता है|”
किरचॉफ का प्रथम नियम आवेश संरक्षण के अनुकूल है|
किरचॉफ का द्वितीय नियम या बंद पाश(लूप) नियम (second law or closed loop law) :
किरचॉफ के द्वितीय नियम के अनुसार “ किसी बंद परिपथ के विभिन्न भागों में प्रवाहित होने वाली विद्युत धाराओं एवं संगत प्रतिरोधों के गुणनफलों का बीजगणितीय योग उस परिपथ में उपस्थित कुल विद्युत वाहक बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है|”
अर्थात् ∑IR = ∑E
चित्र (b) के अनुसार,
बंद परिपथ ABCDA के लिए,
I1R1 + (-I2R2 ) = E1 + (-E2 )
I1R1 – I2R2 = E1 - E2
बंद परिपथ BEFCB के लिए,
I2R2 + ( I1 + I2 )R3 = E2
किरचॉफ का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण के अनुकूल है|
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