p-n संधि डायोड क्या है? pn संधि डायोड के उपयोग|pn junction diode
आज की इस पोस्ट में हम physics (भौतिक विज्ञान) के महत्वपूर्ण टॉपिक p-n संधि डायोड(pn junction diode) के बारे में पढ़ने वाले है| इसमें हम पढेंगे pn junction diode क्या है? इससे सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ,उपयोग तथा p-n संधि डायोड में धारा प्रवाह|
P-N संधि डायोड क्या है(pn junction diode in hindi):
जब p-प्रकार के अर्द्धचालक को n-प्रकार के अर्द्धचालक के साथ एक विशेष विधि(डोपिंग) द्वारा जोड़ा जाता है तो इस संयोजन को p-n संधि डायोड कहते हैं| जिस संधि पर ये दोनों अर्द्धचालक एक-दूसरे से जुडते हैं उसे p-n संधि (pn junction) कहते हैं|
![]() |
pn junction diode |
Pn junction diode से सम्बन्धित परिभाषाएँ :
1. अनावृत आवेश- जब p-प्रकार के अर्द्धचालक को n-प्रकार के अर्द्धचालक से जोड़ा जाता है तो संधि के समीप कुछ दूरी तक के मुख्य आवेश वाहक (p क्षेत्र से होल तथा n क्षेत्र से इलेक्ट्रॉन) एक-दूसरे से संयोग कर उदासीन हो जाते हैं| इस भाग में उपस्थित ऋणावेशित तथा धनावेशित परमाणुओं को अनावृत आवेश कहते हैं|
2. अवक्षय पर्त(Depletion layer) – जब P-N संधि डायोड बनाया जाता है तो संधि पर कुछ होल p-क्षेत्र से n-क्षेत्र की ओर तथा कुछ इलेक्ट्रॉन n-क्षेत्र से p-क्षेत्र की और और चलने लगते हैं और एक- दूसरे से संयोग कर उदासीन हो जाते हैं| इस प्रकार संधि के दोनों और एक पतली पर्त उत्पन्न हो जाती है जिसमें न तो होल होते हैं और न ही इलेक्ट्रॉन| इस पर्त को अवक्षय पर्त कहते हैं|
3. रोधिका विभव या प्राचीर विभव(Barrier potential) – होलों और इलेक्ट्रॉनों के संयोग के कारण p- क्षेत्र ऋणात्मक और n- क्षेत्र धनात्मक हो जाता है| फलस्वरुप दोनों क्षेत्रों के मध्य एक विद्युत-क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है यह क्षेत्र इस प्रकार का होता है कि मानो एक काल्पनिक बैटरी का ऋण सिरा p-क्षेत्र से तथा धन सिरा n-क्षेत्र से जुड़ा हो| दोनों के मध्य स्थापित विद्युत- क्षेत्र के कारण उत्पन्न विभवांतर को रोधिका विभव या प्राचीर विभव कहते |
P-N संधि डायोड में धारा प्रवाह (flow of current in p-n junction diode):
जब p-n junction diode के दोनों सिरों को किसी बैटरी के ध्रुवों से जोड़कर उस पर वोल्टेज लगायी जाती है तो उसमें से विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है| बैटरी की अनुपस्थिति में प्राचीर विभव के कारण p-n संधि डायोड से कोई विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है|
p-n junction diode के सिरों पर वोल्टेज दो प्रकार से लगाया जा सकता है|
1. अग्र अभिनति(forward bias)
2. उत्क्रम अभिनति या पश्च अभिनति (reverse bias)
![]() |
Forward bias and reverse bias |
1. अग्र अभिनति(forward bias) – जब एक बैटरी B के धन सिरे को p-n संधि डायोड के p सिरे से तथा ऋण सिरे को n सिरे से जोड़ दिया जाता है तो इसे अग्र अभिनति कहते हैं|
2. उत्क्रम अभिनति या पश्च अभिनति (reverse bias) -जब एक बैटरी B के धन सिरे को p-n संधि डायोड के n सिरे से तथा ऋण सिरे को p सिरे से जोड़ दिया जाता है तो इसे उत्क्रम अभिनति या पश्च अभिनति कहते हैं|
uses of pn junction diode in hindi(PN Sandhi diode ke upyog)
1. p-n संधि डायोड का उपयोग दिष्टकारी (Rectifier) के रूप में किया जाता है|
[ note:- दिष्टकारी एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित किया जाता है|]
दिष्टकारी के रूप में p-n संधि डायोड का उपयोग दो प्रकार से किया जा सकता है-
(I) अर्द्ध तरंग दिष्टकारी के रूप में
(II) पूर्ण तरंग दिष्टकारी के रूप में
2. जेनर डायोड, फोटो डायोड, सोलर सेल तथा प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) इन सभी में pn junction diode का उपयोग किया जाता है|
Class 12th physics notes in hindi:
> ट्रांजिस्टर क्या है? प्रकार और उपयोग
> अर्द्धचालक क्या है? प्रकार और उपयोग
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें