मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न मात्रक| fundamental and derived units in hindi
आज की इस पोस्ट में हम पढेंगे physics के महत्वपूर्ण टॉपिक मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न मात्रक किसे कहते हैं तथा मूल मात्रक कितने प्रकार के होते हैं?
मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न मात्रक के बारे में पढने से पहले आपको ये पता होना चाहिए कि मूल राशियाँ तथा व्युत्पन्न राशियाँ किसे कहते हैं| इसके लिए आप हमरी इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं|👇
मूल राशियाँ तथा व्युत्पन्न राशियाँ
मूल राशियों के मात्रकों को मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न राशियों के मात्रकों को व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं| इस प्रकार मात्रक दो प्रकार के होते हैं-
1. मूल मात्रक
2. व्युत्पन्न मात्रक
मूल मात्रक किसे कहते हैं(Mul matrak Kise Kahate Hain):
वे मात्रक जो एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं, अर्थात एक- दूसरे में नहीं बदले जा सकते हैं तथा जिनका एक- दूसरे से कोई संबंध नहीं होता है, मूल मात्रक कहलाते हैं|
अंतर्राष्ट्रीय मानक पद्धति में 7 मूल मात्रक हैं| लंबाई, द्रव्यमान, समय, ताप, ज्योति तीव्रता, विद्युत धारा तथा पदार्थ की मात्रा के मात्रक, मूल मात्रक माने जाते हैं|
मूल राशियों के S.I मात्रक(mul matrak) :-
मूल राशियाँ - मूल मात्रक
1. लम्बाई का मात्रक- मीटर(metre)
2. द्रव्यमान का मात्रक- किलोग्राम(kilogram)
3. समय का मात्रक- सेकण्ड(second)
4. ताप का मात्रक – केल्विन(kelvin)
5. ज्योति-तीव्रता का मात्रक- कैण्डेला(candela)
6. धारा का मात्रक – एम्पियर(ampere)
7. पदार्थ की मात्रा का मात्रक- मोल(mole)
व्युत्पन्न मात्रक किसे कहते हैं(derived units in hindi):
वे मात्रक जो एक- दूसरे से स्वतंत्र नहीं होते हैं तथा मूल मात्रकों से ही प्राप्त किये जाते हैं, व्युत्पन्न मात्रक कहलाते हैं|
उदाहरण के लिए, कुछ व्युत्पन्न राशियाँ जैसे क्षेत्रफल,बल, कार्य, चाल, त्वरण,संवेग, आयतन, घनत्व इत्यादि के मात्रक, मूल मात्रकों पर उपयुक्त घातें लगाकर व्यक्त किये जाते हैं| अतः इन राशियों के मात्रक, व्युत्पन्न मात्रक कहलाते हैं|
व्युत्पन्न मात्रकों के उदाहरण:-
1. क्षेत्रफल=लम्बाई×चौडाई= मीटर×मीटर=मीटर²
2. आयतन=लम्बाई×चौडाई×ऊचाई= मीटर³
3. घनत्व =द्रव्यमान/आयतन= किग्रा/मीटर³
4. चाल या वेग =दूरी/समय = मीटर/सेकण्ड
5. त्वरण = वेग में परिवर्तन/समयांतर= मीटर/सेकण्ड²
6. बल=द्रव्यमान×त्वरण =किग्रा×मीटर/सेकण्ड²
7. संवेग= द्रव्यमान×वेग= किग्रा×मीटर/सेकण्ड
मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न मात्रकों में अंतर(difference between fundamental and derived units in hindi)
मूल मात्रक-
1. मूल मात्रक परस्पर स्वतंत्र होते हैं|
2. इन्हें स्वतंत्र रूप से परिभाषित किया जा सकता है|
3. S.I पद्धति में मूल मात्रकों की संख्या 7 है|
व्युत्पन्न मात्रक-
1. व्युत्पन्न मात्रक परस्पर स्वतंत्र नहीं होते हैं, बल्कि मूल मात्रकों के पदों में व्यक्त किये जाते हैं|
2. इन्हें केवल मूल मात्रकों की सहायता से ही परिभाषित किया जा सकता है|
3. व्युत्पन्न मात्रकों की संख्या असीमित होती है|
मात्रक की विशेषताएँ(Matrak ki visheshtaen):
1. मात्रक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वमान्य होना चाहिए|
2. मात्रक स्पष्ट रूप से परिभाषित एवं उचित आकार का होना चाहिए|
3. मात्रक ऐसा होना चाहिए जिसकी तुलना उसी राशि के अन्य मात्रकों से करना आसान हो|
4. मात्रक के परिमाण पर समय तथा स्थान का कोई प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिए|
5. मात्रक ऐसा होना चाहिए जिसे पुनरूत्पादित किया जा सके|
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