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रविवार, 17 मई 2020

ट्रांसफार्मर क्या है|सिद्धांत,प्रकार और उपयोग|transformer in hindi

ट्रांसफार्मर क्या है|सिद्धांत,प्रकार और उपयोग|transformer in hindi

आज की इस पोस्ट में हम physics के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक ट्रांसफार्मर(transformer) के बारे में पढ़ने वाले है| इसमें हम पढेंगे ट्रांसफार्मर क्या है उसका सिद्धांत प्रकार और उपयोग| तथा ट्रांसफार्मर में कौन-कौन सी ऊर्जा हानि होती है और इसे किस प्रकार कम किया जा सकता है?  

ट्रांसफॉर्मर के बारे में पढ़ने से पहले आप लोगों को यह पता होना चाहिए कि विद्युत धारा(electric current) दो प्रकार की होती है-
1. प्रत्यावर्ती धारा ( alternating current )
2. दिष्ट धारा ( direct current)
ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा पर ही कार्य करता है|

ट्रांसफार्मर क्या हैै|Transformer kya hai

ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण है जो प्रत्यावर्ती वोल्टेज को बिना ऊर्जा नष्ट किए परिवर्तित कर देता है अर्थात बढ़ा देता है या घटा देता है |

ट्रांसफार्मर की बनावट|Transformer ki banawat

ट्रांसफार्मर में एक नरम लोहे का पटलीत क्रोड ( soft iron laminated Core) लिया जाता है जिसके एक और प्राथमिक कुंडली ( primary coil) तथा दूसरी और द्वितीयक कुंडली ( secondary coil) लिपटी हुई रहती है| जिस वोल्टेज को परिवर्तित करना होता है उसे प्राथमिक कुंडली पर दिया जाता है तथा द्वितीयक कुंडली से परिवर्तित प्रत्यावर्ती वोल्टेज प्राप्त किया जाता है |

ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं|Transformer ke Prakar

 ट्रांसफार्मर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

1. उच्चायी ट्रांसफार्मर( step up transformer) – 
यह  ट्रांसफार्मर प्रत्यावर्ती वोल्टेज को बढ़ा देता है और धारा की प्रबलता को घटा देता है| इस ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुंडली में फेरो की संख्या कम तथा द्वितीय के कुंडली में फेरो की संख्या अधिक होती है |

ट्रांसफार्मर क्या है|सिद्धांत,प्रकार और उपयोग|transformer in hindi
Transformer
2. अपचायी ट्रांसफार्मर ( step down transformer)
 यह ट्रांसफार्मर प्रत्यावर्ती वोल्टेज को कम कर देता है तथा धारा की प्रबलता को बढ़ा देता है| इस ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुंडली में फेरो की संख्या अधिक तथा द्वितीय का कुंडली में फेरो की संख्या कम होती है|

ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया:
ट्रांसफार्मर का आविष्कार सन 1831 में माइकल फैराडे ने किया था |


ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता हैै|Transformer kis Siddhant par Karya karta hai

ट्रांसफार्मर अन्योन्य प्रेरण ( mutual induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है |
अन्योन्य प्रेरण की घटना में दो कुंडलियां होती है जिसमें एक कुंडली में धारा या वोल्टेज के मान में परिवर्तन करने पर उसके पास रखी दूसरी कुंडली में धारा या वोल्टेज के मान में परिवर्तन होने लगता है |

ट्रांसफार्मर की सहायता से बिजली हमारे घरों तक कैसे पहुंचती है:

 सबसे पहले पावर हाउस में जो बिजली उत्पन्न होती है उसका वोल्टेज 11kv  (11000v) होता है जोकि कम है और इसे सीधे हजारों किलोमीटर तक सप्लाई नहीं किया जा सकता है | इस 11kv वोल्टेज को उच्चायी ट्रांसफार्मर की सहायता से 400kv वोल्टेज में परिवर्तित किया जाता है तथा हाईटेंशन वायरो के माध्यम से पावर सब स्टेशन की ओर सप्लाई किया जाता है | अलग – अलग पावर सब स्टेशन पर पुनः अपचाई ट्रांसफार्मर का प्रयोग करके इस 400kv वोल्टेज को अंत में 11kv वोल्टेज में परिवर्तित कर लिया जाता है |यहां से यह वोल्टेज आपके घरों के पास लगे distribution panel (dp)  की ओर सप्लाई किया जाता है |distributor transformer  इस वोल्टेज को three phase 440 volt  मैं परिवर्तित कर आपके घरों में single phase 220 volt  सप्लाई करता है| अंत में आपके घरों में 220 volt ac सप्लाई मिलती रहती है|

 ट्रांसफार्मर के उपयोग|Transformer ke upyog

ट्रांसफार्मर के उपयोग कि अगर बात करें तो ऐसा कोई विद्युत उपकरण नहीं होगा जिसमें शायद ट्रांसफार्मर का उपयोग ना किया गया हो | हमारे घरों के सभी विद्युत उपकरण अलग-अलग वोल्टेज पर कार्य करते हैं इसलिए हमें इस 220 वोल्ट को परिवर्तित करने की आवश्यकता पड़ती है और यह काम ट्रांसफार्मर के सहायता से किया जाता है|
इसको उदाहरण के द्वारा आसानी से समझ सकते हैं:
यदि आपको आपके मोबाइल की एक बैटरी चार्ज करनी है  जो 12 volt DC है| लेकिन आपके घरों में जो पावर सप्लाई हैं वह 220 volt AC  है| इस 220 volt AC  को 12 volt DC   मैं परिवर्तित करने के लिए हमारे मोबाइल चार्जर के अंदर एक ट्रांसफार्मर और एक दिष्टकारी ( rectifier)  लगा होता है| ट्रांसफार्मर 220 volt AC   को 12 volt AC   मैं परिवर्तित करता है तथा रेक्टिफायर उस AC  वोल्टेज को DC  मैं परिवर्तित कर देता है | और इस प्रकार आपका मोबाइल चार्ज होता है|

ट्रांसफार्मर में कौन-कौन सी ऊर्जा हानि होती है और इसे किस प्रकार कम किया जा सकता है? 

ट्रांसफार्मर में होने वाली ऊर्जा हानि(energy loss in transformer) -

1.ताम्र हानि(copper loss) – प्राथमिक कुंडली को दी गई ऊर्जा का कुछ भाग उसके तार में ऊष्मा के रूप में व्यय हो जाता है| इसे ताम्र हानि कहते हैं|

 ताम्र हानि को कम करने के लिए तांबे के मोटे तार का उपयोग किया जाता है|

2.लौह हानि(Iron loss) – ट्रांसफार्मर के क्रोड़ में भँवर धाराएँ उत्पन्न होने के कारण उसमें कुछ विद्युत ऊर्जा ऊष्मा के रूप में व्यय हो जाती है इसे लौह हानि कहते हैं|

 इसे कम करने के लिए ट्रांसफार्मर के क्रोड को पटलित(laminated) बनाया जाता है|

3.शैथिल्य हानि(hysteresis loss) – प्राथमिक कुंडली में प्रत्यावर्ती धारा के कारण क्रोड़ बार-बार चुम्बकित और विचुम्बकित होता है जिससे विद्युत ऊर्जा का कुछ भाग उष्मा के रूप में व्यय हो जाता है इसे शैथिल्य हानि कहते हैं|

 इसे कम करने के लिए ट्रांसफार्मर के क्रोड़ को नर्म लोहे का बनाया जाता है|

4. चुंबकीय फ्लक्स क्षरण(magnetic flux leakage) – प्राथमिक कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न समस्त चुंबकीय फ्लक्स द्वितीयक कुंडली से बद्ध नहीं हो पाता है| अतः कुछ ऊर्जा की हानि हो जाती है| इसे चुंबकीय फ्लक्स क्षरण कहते हैं|

इसे कम करने के लिए प्राथमिक कुंडली के ऊपर ही द्वितीयक कुंडली के तार को लपेटा जाता है|

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