P- प्रकार का अर्द्धचालक किसे कहते हैं|p type semiconductors
आज की इस पोस्ट में हम physics(भौतिक विज्ञान) के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक अर्द्धचालक(semiconductor) के अंतर्गत p प्रकार के अर्द्धचालक (p type semiconductor) के बारे में पढ़ने वाले है|
इससे पहले हम अर्द्धचालक क्या है? इसके प्रकार तथा n-type semiconductors के बारे में पढ़ चुके हैं|
p प्रकार का अर्द्धचालक किसे कहते हैं|p type semiconductor in hindi
जब शुद्ध अर्द्धचालक (जर्मेनियम) में त्रिसंयोजी तत्वों (बोरॉन, ऐल्यूमिनियम आदि) की अशुद्धि मिलायी जाती है तो इस प्रकार के अर्द्धचालक को p प्रकार का अर्द्धचालक कहते हैं| इसे ग्राही(Acceptor) अर्द्धचालक भी कहते हैं|
![]() |
P type semiconductor |
हम जानते हैं जर्मेनियम परमाणु की बाह्य कक्षा में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं| इन्हें संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं| जब जर्मेनियम में त्रिसंयोजी अशुद्धि बोरॉन को मिलाया जाता है तो बोरॉन परमाणु और जर्मेनियम परमाणुओं के द्वारा बनाये गये सह-संयोजक बंध में एक इलेक्ट्रॉन की कमी रह जाती है| (चित्र में स्पष्ट है) इलेक्ट्रॉन की इस कमी को होल(Hole) कहते हैं| यह होल तुरंत ही अपने पास वाले सह- संयोजक बंध को तोडकर एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है| अब इस बंध में होल उत्पन्न हो जाता है| इस होल में इलेक्ट्रॉन की पूर्ति पुनः पास वाले सह- संयोजक बंध से की जाती है| इस प्रकार यह होल क्रिस्टल में गति करने लगता है|
स्पष्ट है कि इस प्रकार के अर्द्धचालक में होल विद्युत वाहक का कार्य करते हैं| अतः इस प्रकार के अर्द्धचालक को p-प्रकार का अर्द्धचालक कहते हैं|
ऊष्मीय प्रक्षोभ के कारण जर्मेनियम में पहले से ही कुछ इलेक्ट्रॉन तथा होल उपस्थित रहते हैं| इस प्रकार स्पष्ट है कि p प्रकार के अर्द्धचालक में होलो की संख्या इलेक्ट्रॉनों की संख्या से सदैव अधिक होती है| अतः p प्रकार के अर्द्धचालक में बहुसंख्यक आवेश वाहक होल तथा अल्पसंख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं|
ऊर्जा बैण्ड के आधार पर p- type semiconductor की व्याख्या:
![]() |
P प्रकार का अर्द्धचालक |
जब हम शुद्ध अर्द्धचालक (जर्मेनियम) के क्रिस्टल में बोरॉन परमाणुओं की अशुद्धियाँ मिलाते हैं तो प्रति अशुद्ध परमाणु अतिरिक्त होल प्राप्त होते हैं| ये होल संयोजकता बैण्ड के ऊपर विशिष्ट ऊर्जा स्तर बनाते हैं जिसे ग्राही ऊर्जा स्तर कहते हैं| ऊष्मीय प्रक्षोभ के कारण संयोजकता बैण्ड के इलेक्ट्रॉन ऊष्मीय ऊर्जा प्राप्त करके आसानी से उत्तेजित होकर ग्राही ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं जिससे संयोजकता बैण्ड में होल उत्पन्न हो जाते हैं| ये होल धनावेशित कणों के भाँति कार्य करते हैं जो p- प्रकार के अर्द्धचालक में विद्युत वाहक का कार्य करते हैं|
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें