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मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

प्रकाश विद्युत प्रभाव और नियम| आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण|photo electric effect

प्रकाश विद्युत प्रभाव या प्रकाश विद्युत उत्सर्जन(photo electric effect in hindi) 

आज इस पोस्ट में हम प्रकाश विद्युत प्रभाव(photo electric effect) और उसके नियम,  प्रकाश विघुत सेल  तथा आइंस्टीन की प्रकाश विद्युत समीकरण को हल करने वाले हैं| इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और यदि दी गई जानकारी अच्छी लगे तो कमेंट करें और शेयर करें|

प्रकाश विद्युत प्रभाव की परिभाषा(Prakash Vidyut Prabhav ki paribhasha) 

“जब किसी धातु की प्लेट पर उचित आवृत्ति की प्रकाश किरणे आपतित होती है तो धातु के पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं| धातु पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की इस घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव( प्रकाश विद्युत उत्सर्जन) कहते हैं|” उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉनों को प्रकाश-इलेक्ट्रॉन(Photo- electron) कहते हैं|

प्रकाश विद्युत प्रभाव और नियम| आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण|photo electric effect
photoelectric emission

हम जानते हैं धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है| ये इलेक्ट्रॉन अपने परमाणुओं से मुक्त होकर धातु के पृष्ठ पर लगातार अनियमित रूप से गति करते रहते हैं, किंतु इन इलेक्ट्रॉनों में इतनी गतिज ऊर्जा नहीं होती है कि वे धातु के सतह को छोड़कर बाहर निकल सकें| यदि इलेक्ट्रॉनों को बाह्य स्त्रोत से पर्याप्त ऊर्जा दी जाये तो इनकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और इलेक्ट्रॉन धातु की सतह को छोड़कर बाहर निकलने लगते हैं|

 कार्य-फलन ( देहली ऊर्जा) 

धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने के लिए बाह्य स्त्रोत से जो न्यूनतम ऊर्जा दी जाती जाती है उसे कार्य-फलन कहा जाता है|

वह न्यूनतम ऊर्जा जो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए आवश्यक होती है, उसे कार्य-फलन( देहली ऊर्जा) कहते हैं| इसे Φ से व्यक्त करते हैं| इसे इलेक्ट्रॉन वोल्ट(ev) में मापा जाता है|(1ev = 1.6 × 10^-19 जूल) 

 प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम(Laws of Photo-electric effect in hindi) :

1. प्रकाश विद्युत उत्सर्जन तभी संभव है जब किसी धातु की प्लेट पर आपतित प्रकाश की आवृत्ति देहली आवृत्ति से कम ना हो|

( note-: देहली आवृत्ति- देहली आवृत्ति वह न्यूनतम आवृत्ति होती है, जिससे कम आवृत्ति के प्रकाश से धातु सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होते हैं, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी हो|

2. उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का वेग( गतिज ऊर्जा) प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करता है|

3. उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की संख्या आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है|

4. प्रकाश के आपतित होते ही धातु पृष्ठ से तत्काल इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं|

 प्रकाश-विद्युत सेल या फोटो सेल(photoelectric cell or photo cell in hindi ):

“फोटो सेल या प्रकाश विद्युत सेल एक ऐसी युक्ति है जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देती है|” यह प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के सिद्धांत पर कार्य करता है|

 प्रकाश विद्युत सेल का उपयोग चोर घंटी, अग्निसूचक घंटी, टेलीविजन आदि में किया जाता है|

 आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत समीकरण( Einstein ka Prakash Vidyut samikaran)  :

आइंस्टीन ने प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या प्लांक के क्वांटम सिद्धांत के आधार पर की थी| प्लांक के अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बण्डल या पैकेट के रूप में गमन करता है| प्रत्येक बण्डल को फोटॉन कहते है| प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = hV होती है|( जहाँ h = प्लांक नियतांक तथा V= आवृत्ति) 

 आइंस्टीन के अनुसार जब hV  ऊर्जा का फोटॉन धातु की सतह पर आपतित होता है तो यह ऊर्जा दो प्रकार से व्यय होती है – 

1. ऊर्जा का कुछ भाग धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने में व्यय होता है| इसे कार्य फलन(Φ) कहते हैं|

2. ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को गतिज ऊर्जा(Ek) प्रदान करने में व्यय होता है|

ऊर्जा संरक्षण के नियम से, 

फोटॉन की कुल ऊर्जा= कार्य फलन+ इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा

                          hV =  Φ + Ek     •••••••••••(1) 

 यदि इलेक्ट्रॉन का वेग Vmax  हो, तो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा Ek = ½ mv²max

 तथा कार्य फलन Φ = hVo

 समीकरण (1) से, 

                     hV =  hVo + ½mv²max

                   hV – hVo = ½mv²max

                     या   

                   ½mv²max = h(V- Vo)
 [einstein photoelectric equation  ]

यही आइंस्टीन की प्रकाश विद्युत समीकरण है|

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