अर्द्धचालक किसे कहते हैं, प्रकार और उपयोग|semiconductors in hindi
आज की इस पोस्ट में हम physics (भौतिक विज्ञान) के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक अर्द्धचालक(semiconductor in hindi) के बारे में पढ़ने वाले है| इसमें हम पढेंगे अर्द्धचालक किसे कहते हैं?अर्द्धचालक के प्रकार तथा अर्द्धचालकों के उपयोग|
अर्द्धचालक किसे कहते हैं(ardhchalak kise kahate hain):
अर्द्धचालक वे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालक और विद्युतरोधी के मध्य होती हैं|
0K(परम शून्य ताप) ताप पर इनमें कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होता है अतः निम्न ताप पर अर्द्धचालक पदार्थ विद्युतरोधी होते हैं किंतु कमरे के ताप पर इनमें कुछ मुक्त इलेक्ट्रॉन उपलब्ध रहते हैं अतः कमरे के ताप पर ये विद्युत के कुछ चालक हो जाते हैं|
नीचे दी गई image की सहायता से आप इसे और आसानी से समझ सकते हैं|
Semiconductors |
अर्द्धचालक में चालन बैण्ड और संयोजकता बैण्ड के मध्य वर्जित ऊर्जा अंतराल की चौड़ाई बहुत ही कम होती है| परम शून्य ताप पर अर्द्धचालकों का चालन बैण्ड पूर्णतः रिक्त होता है तथा संयोजकता बैण्ड पूर्णतः भरा हुआ होता है| चित्र(a) |अतः परम शून्य ताप पर चालन बैण्ड में इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण बाह्य विद्युत क्षेत्र लगाने पर विद्युत का प्रवाह नहीं हो पाता है| इस प्रकार निम्न ताप पर अर्द्धचालक विद्युतरोधी होते हैं|
कमरे के ताप पर संयोजकता बैण्ड के कुछ इलेक्ट्रॉन उष्मीय ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं| यह ऊर्जा वर्जित ऊर्जा अंतराल से अधिक होती है अतः इलेक्ट्रॉन संयोजकता बैण्ड से चालन बैण्ड की ओर चलने लगते हैं| अल्प विद्युत क्षेत्र लगाने पर भी ये इलेक्ट्रॉन गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं| इस प्रकार कमरे के ताप पर अर्द्धचालक पदार्थ चालक होते हैं|
इस प्रकार जो पदार्थ निम्न ताप पर तो विद्युतरोधी होते हैं किन्तु कमरे के ताप पर कुछ चालक हो जाते हैं| ऐसे पदार्थों को अर्द्धचालक कहते हैं|
अर्द्धचालकों के प्रकार(types of semiconductors in hindi) :
अर्द्धचालक दो प्रकार के होते हैं-
1.नैज अर्द्धचालक या आंतरिक अर्द्धचालक या शुद्ध अर्द्धचालक(intrinsic semiconductors) - वे पदार्थ जो कि बिना कोई अशुद्धि मिलाएं अपने आंतरिक गुणों के कारण अर्द्धचालक की भाँति व्यवहार करते हैं नैज अर्द्धचालक या आंतरिक अर्द्धचालक कहलाते हैं|
नैज अर्द्धचालक में विद्युत प्रवाह धनावेश वाहक होल और ऋणावेश वाहक इलेक्ट्रॉन दोनों की गति के कारण होता है| नैज अर्द्धचालक में चालन इलेक्ट्रॉनों की संख्या सदैव होलों की संख्या के बराबर होती है|
उदाहरण- जर्मेनियम तथा सिलिकॉन नैज अर्द्धचालक के उदाहरण है|
2.बाह्य अर्द्धचालक या अशुद्ध अर्द्धचालक( extrinsic semiconductors) - शुद्ध अर्द्धचालक में पंच संयोजी या त्रीसंयोजी अशुद्धियाँ मिलाने पर जो अर्द्धचालक बनता है उसे बाह्य अर्द्धचालक कहते हैं| शुद्ध अर्द्धचालक में अशुद्धि मिलाने की क्रिया को डोपिंग (Doping) कहते हैं|
बाह्य अर्द्धचालक दो प्रकार के होते हैं-
(I) N-प्रकार के अर्द्धचालक (N-type semiconductors)
(II) P-प्रकार के अर्द्धचालक (p-type semiconductors)
अर्द्धचालक के उपयोग(ardhchalak ke upyog) :
अर्द्धचालकों का उपयोग डायोड, ट्रांजिस्टर, सोलर सेल, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, IC (integrated circuit) आदि युक्तियों में किया जाता है|
Class 12th physics notes in hindi:
> प्रकाश विद्युत प्रभाव(photo electric effect)
> प्रकाशिक तंतु(optical fiber)
> परमाणु क्रमांक और परमाणु भार(atomic number and atomic mass)
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