N- प्रकार के अर्द्धचालक किसे कहते हैं|n type semiconductors
आज की इस पोस्ट में हम physics(भौतिक विज्ञान) के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक अर्द्धचालक(semiconductors) के अंतर्गत n प्रकार के अर्द्धचालक (n type semiconductor) के बारे में पढ़ने वाले है|
N-प्रकार के अर्द्धचालक के बारे में पढ़ने से पहले हमें बाह्य अर्द्धचालक के बारे में पता होना चाहिए|
बाह्य अर्द्धचालक(extrinsic semiconductor)- शुद्ध अर्द्धचालक में पंच संयोजी या त्रीसंयोजी अशुद्धियाँ मिलाने पर जो अर्द्धचालक बनता है उसे बाह्य या अर्द्धचालक कहते हैं| इसे अशुद्ध अर्द्धचालक भी कहते हैं| शुद्ध अर्द्धचालक में अशुद्धि मिलाने की क्रिया को डोपिंग (Doping) कहते हैं|
बाह्य अर्द्धचालक दो प्रकार के होते हैं-
(I) N-प्रकार के अर्द्धचालक (N-type semiconductors)
(II) P-प्रकार के अर्द्धचालक (p-type semiconductors)
n प्रकार का अर्द्धचालक किसे कहते हैं|n type semiconductor in hindi
जब शुद्ध अर्द्धचालक (जर्मेनियम) में पंच संयोजी तत्वों (ऐन्टीमनी, आर्सेनिक आदि) की अशुद्धि मिलायी जाती है तो इस प्रकार के अर्द्धचालक को n प्रकार का अर्द्धचालक कहते हैं| इसे दाता(donor) अर्द्धचालक भी कहते हैं|
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n type semiconductor |
हम जानते हैं जर्मेनियम परमाणु की बाह्य कक्षा में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं| इन्हें संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं| जब जर्मेनियम में पंच संयोजी अशुद्धि ऐन्टीमनी को मिलाया जाता है तो ऐन्टीमनी के पाँच संयोजी इलेक्ट्रॉनों में से चार इलेक्ट्रॉन जर्मेनियम परमाणु के चार संयोजी इलेक्ट्रॉनों के साथ सह- संयोजक बंध बना लेते हैं| (चित्र) ऐन्टीमनी परमाणु के पाँचवें संयोजी इलेक्ट्रॉन को सह-संयोजक बंध में स्थान नहीं मिलने के कारण यह पाँचवा इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल में इधर-उधर घुमने के लिए स्वतंत्र होता है| इस प्रकार के स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन n प्रकार के अर्द्धचालक में विद्युत वाहक का कार्य करते हैं|
ऊष्मीय प्रक्षोभ के कारण जर्मेनियम में पहले से ही कुछ इलेक्ट्रॉन तथा होल उपस्थित रहते हैं| इस प्रकार स्पष्ट है कि n प्रकार के अर्द्धचालक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या होल की संख्या से सदैव अधिक होती है| अतः n प्रकार के अर्द्धचालक में बहुसंख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन तथा अल्पसंख्यक आवेश वाहक होल होते हैं|
ऊर्जा बैण्ड के आधार पर n- प्रकार के अर्द्धचालक की व्याख्या:
जब हम शुद्ध अर्द्धचालक (जर्मेनियम) के क्रिस्टल में ऐन्टीमनी परमाणुओं की अशुद्धियाँ मिलाते हैं तो प्रति अशुद्ध परमाणु अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त होते हैं| इन इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा चालन बैण्ड के इलेक्ट्रॉनों से तो कम होती है तथा संयोजकता बैण्ड के इलेक्ट्रॉनों से अधिक होती है|
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N प्रकार का अर्द्धचालक |
अत: ये इलेक्ट्रॉन चालन बैण्ड के नीचे विशिष्ट ऊर्जा स्तर बना लेते हैं जिन्हें दाता ऊर्जा स्तर (Donor energy level) कहते हैं| ये इलेक्ट्रॉन ऊष्मीय ऊर्जा प्राप्त कर आसानी से उत्तेजित होकर चालन बैण्ड में जा सकते हैं तथा विद्युत वाहक का कार्य कर सकते हैं|
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