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मंगलवार, 10 अगस्त 2021

अर्द्धचालक के प्रकार, नैज अर्द्धचालक और बाह्य अर्द्धचालक|types of semiconductors

अर्द्धचालक के प्रकार, नैज अर्द्धचालक और बाह्य अर्द्धचालक|types of semiconductors

आज के इस पोस्ट में हम अर्द्धचालक (semiconductors) के बारे में पढ़ने वाले हैं| इससे पहले हम अर्द्धचालक किसे कहते हैं इसके बारे में पढ़ चुके हैं|

इस पोस्ट में हम अर्द्धचालक के प्रकार- नैज अर्द्धचालक जिसे आंतरिक अर्द्धचालक या शुद्ध अर्द्धचालक भी कहते हैं और बाह्य अर्द्धचालक इनके बारे में पढ़ेंगे|

अर्द्धचालक के प्रकार (ardhchalak ke prakar):

अर्द्धचालक दो प्रकार के होते हैं-

1. नैज अर्द्धचालक या शुद्ध अर्द्धचालक या आंतरिक अर्द्धचालक (pure semiconductors) 

2. बाह्य अर्द्धचालक या अशुद्ध अर्द्धचालक (extrinsic semiconductors)

नैज अर्द्धचालक या शुद्ध अर्द्धचालक किसे कहते हैं?

वे पदार्थ जो कि बिना कोई अशुद्धि मिलाएं अपने आंतरिक गुणों के कारण अर्द्धचालक की भाँति व्यवहार करते हैं नैज अर्द्धचालक या आंतरिक अर्द्धचालक कहलाते हैं|

उदाहरण- जर्मेनियम तथा सिलिकॉन नैज अर्द्धचालक के उदाहरण है|

अर्द्धचालक के प्रकार, नैज अर्द्धचालक और बाह्य अर्द्धचालक|types of semiconductors
Semiconductors

जर्मेनियम और सिलिकॉन के परमाणुओं की बाह्य कक्षा में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं जिन्हें संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं| कम ताप पर प्रत्येक परमाणु के चारों संयोजी इलेक्ट्रॉन अपने पास वाले चार परमाणुओं के एक-एक इलेक्ट्रॉन से साझेदारी करके सहसंयोजक बंध बना लेते हैं| फलस्वरुप एक भी इलेक्ट्रॉन शेष नहीं रह पाता है| अतः इस स्थिति में अर्द्धचालकों में से विद्युत का प्रवाह नहीं हो पाता है|

साधारण ताप पर उष्मीय प्रक्षोभ के कारण कुछ सहसंयोजक बंध टूट जाते हैं, जिससे कुछ इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र हो जाते हैं| ताप बढ़ाने पर अधिक सहसंयोजक बंध टूटने के कारण स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी बढ़ जाती है| इलेक्ट्रॉन के स्वतंत्र होने के कारण उस जगह रिक्त स्थान हो जाता है जिसे होल या कोटर कहते हैं| ये होल धनावेश वाहक की भांति कार्य करते हैं| अब यदि ऐसे अर्द्धचालकों के सिरों के बीच विभवांतर लगाया जाता है तो इलेक्ट्रॉन धन सिरे की ओर तथा होल इलेक्ट्रॉनों के विपरीत ऋण सिरे की ओर गति करने लगते हैं| इस प्रकार अर्द्धचालक में विद्युत का प्रवाह होने लगता है|

नैज अर्द्धचालक में विद्युत प्रवाह धनावेश वाहक होल और ऋणावेश वाहक इलेक्ट्रॉन दोनों की गति के कारण होता है| नैज अर्द्धचालक में चालन इलेक्ट्रॉनों की संख्या सदैव होलों की संख्या के बराबर होती है|

बाह्य अर्द्धचालक या अशुद्ध अर्द्धचालक किसे कहते हैं?

शुद्ध अर्द्धचालक में पंच संयोजी या त्रीसंयोजी अशुद्धियाँ मिलाने पर जो अर्द्धचालक बनता है उसे बाह्य अर्द्धचालक कहते हैं| शुद्ध अर्द्धचालक में अशुद्धि मिलाने की क्रिया को डोपिंग (Doping) कहते हैं|

बाह्य अर्द्धचालक दो प्रकार के होते हैं-

(I) N-प्रकार के अर्द्धचालक (N-type semiconductors) 

(II) P-प्रकार के अर्द्धचालक (p-type semiconductors) 

अर्द्धचालक के प्रकार, नैज अर्द्धचालक और बाह्य अर्द्धचालक|types of semiconductors
n type and p type semiconductors

N- प्रकार का अर्द्धचालक किसे कहते हैं(n type semiconductors):

जब शुद्ध अर्द्धचालक (जर्मेनियम) में पंच संयोजी तत्वों (ऐन्टीमनी, आर्सेनिक आदि) की अशुद्धि मिलायी जाती है तो इस प्रकार के अर्द्धचालक को n प्रकार का अर्द्धचालक कहते हैं| इसे दाता(donor) अर्द्धचालक भी कहते हैं|

P- प्रकार का अर्द्धचालक किसे कहते हैं (p type semiconductors) :

जब शुद्ध अर्द्धचालक (जर्मेनियम) में त्रिसंयोजी तत्वों (बोरॉन, ऐल्यूमिनियम आदि) की अशुद्धि मिलायी जाती है तो इस प्रकार के अर्द्धचालक को p प्रकार का अर्द्धचालक कहते हैं| इसे ग्राही(Acceptor) अर्द्धचालक भी कहते हैं|

Class 12th physics in hindi:
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Location: Sitamau, Madhya Pradesh 458990, India

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