परमाणु बम और हाइड्रोजन बम( atom bomb and hydrogen bomb)
आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं परमाणु बम और हाइड्रोजन बम(Parmanu Bam aur hydrogen Bam) के बारे में|द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कौन से परमाणु बमों का उपयोग किया गया तथा अब तक की देशों के पास परमाणु बम उपलब्ध है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी आपको मिलने वाली है| इसके साथ ही हम पढ़ेंगे कि परमाणु बम और हाइड्रोजन बम में कौन सी अभिक्रिया का प्रयोग किया जाता है|
परमाणु बम का विनाशकारी रूप हम पहले ही देख चुके हैं जब द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया इस परमाणु बम का नाम “ लिटिल बॉय"था| इसके तीन दिन बाद दूसरा परमाणु बम 9 अगस्त 1945 को नागासाकी शहर पर गिराया इस परमाणु बम का नाम “ फैट मैन"था |इसी परमाणु हमले के बाद 6 साल से चले आ रहे द्वितीय विश्वयुद्ध का समापन 2 सितंबर 1945 को हुआ |
Hiroshima Nagasaki credit Wikipedia |
परमाणु बम क्या है किस अभिक्रिया पर कार्य करता है|atom bomb in hindi
परमाणु बम नाभिकीय विखंडन की अनियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया पर आधारित एक विस्फोटक हथियार है | इसके लिए यूरेनियम(U-235) और प्लूटोनियम (Pu-239) जैसे रेडियोएक्टिव पदार्थों का उपयोग किया जाता है | विखंडन योग्य पदार्थ दो या दो से अधिक खंडों में कुछ दूरी पर अवरोधकों द्वारा रखे जाते हैं | प्रत्येक खंड का आकार क्रांतिक आकार से कम होता है अतः श्रंखला अभिक्रिया संभव नहीं होती | किसी युक्ति द्वारा यह खंड मिला दिए जाते हैं और न्यूट्रॉन को उसके अंदर प्रवेश करवा दिया जाता है जिससे अनियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया प्रारंभ हो जाती है | यह अभिक्रिया तब तक चलती है जब तक संपूर्ण पदार्थ का विखंडन नहीं हो जाता है | प्रत्येक विखंडन से लगभग 200 MeV ऊर्जा मुक्त होती है जो भयंकर विस्फोट का रूप ले लेती है |
परमाणु बम |
> नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन के बारे में जाने
किन देशों के पास है परमाणु बम:
भारत सहित कुल 9 देशों के पास परमाणु बम है| इनमें परमाणु बमों की संख्या के आधार पर देशों का क्रम इस प्रकार है- रूस, अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन , भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया |
हाइड्रोजन बम क्या है और किस अभिक्रिया पर कार्य करता है|hydrogen bomb in Hindi :
हाइड्रोजन बम की संकल्पना नाभिकीय संलयन अभिक्रिया पर आधारित है | इसमें हाइड्रोजन के दो समस्थानिक ड्यूटेरियम और ट्राइटियम मिलकर हीलियम का एक नाभिक बनाते हैं और साथ में निकलती है अपार मात्रा में ऊर्जा और यह ऊर्जा भयंकर विस्फोट का रूप ले लेती है |
किंतु यह इतना सरल नहीं है क्योंकि पृथ्वी पर नाभिकीय संलयन अभिक्रिया के लिए सूर्य जितना ताप ( लगभग 1,49,99,726°C ) की आवश्यकता होती हैं जो पृथ्वी पर संभव नहीं है| इतना ताप केवल परमाणु बम के विस्फोट द्वारा ही संभव है |इसका मतलब यह है कि हाइड्रोजन बम के विस्फोट से पहले परमाणु बम का विस्फोट याने की एक बम से डबल धमाका |
इसी कारण हाइड्रोजन बम परमाणु बम की तुलना में कई अधिक गुना विनाशकारी होता है | हाइड्रोजन बम बनाने के लिए धातु के एक कंटेनर को दो भागों में बांटा जाता है, पहले भाग में यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे रेडियोएक्टिव पदार्थ रखे जाते हैं तथा दूसरे भाग में हाइड्रोजन के समस्थानिक रखे जाते हैं| किसी युक्ति द्वारा पहले भाग में न्यूट्रॉन को अंदर प्रविष्ट करवा दिया जाता है जिससे नाभिकीय विखंडन की अनियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया प्रारंभ हो जाती है और बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है और तापमान इतना अधिक हो जाता है कि उसके तुरंत बाद दूसरे भाग में रखे हाइड्रोजन के समस्थानिकों के साथ नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया प्रारंभ हो जाती है | कुछ ही सेकंड में हाइड्रोजन के समस्थानिक हीलियम में संलयीत हो जाते हैं और बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है और होता है भयंकर विस्फोट जो परमाणु बम की तुलना में कई गुना अधिक शक्तिशाली होता है |
Hydrogen bomb image credit Wikimedia |
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