विद्युत चुंबकीय तरंगे किसे कहते हैं, इनके गुण|Electromagnetic waves in hindi
आज की इस पोस्ट में हम भौतिक विज्ञान(physics) के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक विद्युत चुंबकीय तरंगों(electromagnetic waves) के बारे में पढ़ने वाले हैं| इसमें हम पढ़ेंगे विद्युत चुंबकीय तरंगे किसे कहते हैं? विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण और विद्युत चुंबकीय तरंगों की खोज किसने की थी?
विद्युत चुंबकीय तरंगे किसे कहते हैं(Vidyut chumbakiya tarange):
विद्युत चुंबकीय तरंगों के बारे में पढ़ने से पहले हमें ओर्स्टेड का प्रयोग और विद्युत चुंबकीय प्रेरण से संबंधित फैराडे के प्रयोग के बारे में थोड़ी सी जानकारी होना आवश्यक है|
सन् 1820 में ओर्स्टेड ने अपने प्रयोग में पता लगाया कि जब किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है|
इस प्रयोग के 11 वर्ष बाद सन् 1831 में फैराडे ने अपने प्रयोग में ज्ञात किया कि जब किसी परिपथ से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है, फलस्वरूप बंद परिपथ में विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है|
इसके आधार पर कहा जा सकता है कि समय परिवर्ती चुंबकीय-क्षेत्र, विद्युत-क्षेत्र उत्पन्न करता है तथा समय परिवर्ती विद्युत- क्षेत्र, चुंबकीय- क्षेत्र उत्पन्न करता है|
इन तथ्यों के आधार पर सन् 1865 में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने सैद्धांतिक गणना के आधार पर विद्युत चुंबकीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया|
इस सिद्धांत के अनुसार, यदि विद्युत-क्षेत्र या चुंबकीय-क्षेत्र दोनों में से कोई एक समय के साथ परिवर्तित होता है तो समष्टि(space) में दूसरा क्षेत्र स्वत: ही उत्पन्न हो जाता है अर्थात समष्टि में विद्युत- चुम्बकीय विक्षोभ उत्पन्न हो जाते हैं जो समय परिवर्ती विद्युत-क्षेत्र और चुम्बकीय-क्षेत्र से निर्मित होते हैं| अतः इन्हें विद्युत चुंबकीय तरंगे कहते हैं|
विद्युत चुंबकीय तरंगों की परिभाषा (definition of electromagnetic waves) :
विद्युत चुंबकीय तरंगे वे तरंगे होती है जो विद्युत क्षेत्र और चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत ज्यावक्रीय दोलनो से बनी होती है| इन तरंगों की खोज सर्वप्रथम जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने की थी|
Electromagnetic waves |
विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण(Vidyut chumbakiy Tarang ke gun) :
1. ये तरंगे दोलायमान या त्वरित आवेशों से उत्पन्न होती है|
2. ये तरंगे अनुप्रस्थ होती है|
3. ये तरंगे ऊर्जा का स्थानांतरण करती है|
4. ये तरंगे निर्वात में गमन कर सकती है| इनके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है|
5. ये तरंगे परावर्तन,अपवर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन आदि को प्रदर्शित करती है|
6. निर्वात में इन तरंगों की चाल 3×10^8 मीटर/सेकण्ड होती है जो प्रकाश की चाल के बराबर है|
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