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सोमवार, 2 अगस्त 2021

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं?समविभव पृष्ठ के उदाहरण और गुण|Equipotential surface in hindi

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं?समविभव पृष्ठ के उदाहरण और गुण| Equipotential surface in hindi

आज के इस पोस्ट में हम class 12th physics  के एक महत्वपूर्ण टॉपिक समविभव पृष्ठ (Equipotential surface) के बारे में पढ़ने वाले हैं| इस टॉपिक में हम पढ़ेंगे समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं? इसके उदाहरण और गुण|

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं (samvibhav prist kise kahate hain) :

ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान होता है समविभव पृष्ठ कहलाता है|

समविभव पृष्ठ की परिभाषा से स्पष्ट है कि समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान होता है अतः यदि समविभव पृष्ठ पर दो बिंदुओं के बीच विभवांतर निकाला जाए तो विभवांतर का मान शुन्य होगा|

विभवांतर की परिभाषा से, समविभव पृष्ठ पर स्थित किन्ही दो बिंदुओं a  तथा b  के बीच विभवांतर

विभवांतर V = Va – Vb

                  V = Va – Va  [ ∵ Va = Vb समविभव पृष्ठ के कारण]

अतः विभवांतर V = 0

विभवांतर = एकांक धन आवेश को a  से b  तक ले जाने में किया गया कार्य = 0

अर्थात समविभव पृष्ठ के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक एकांक धन आवेश को ले जाने में किया गया कार्य शुन्य होता है|

यदि किसी समविभव पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E  हो, तो एकांक धन आवेश को पृष्ठ पर सूक्ष्म विस्थापन dl करने में किया गया कार्य

                 dw = Edlcosθ

             Edlcosθ = 0  [ ∵ dw = 0]

                   Cosθ = 0

                         θ = 90°

अर्थात समविभव पृष्ठ में विद्युत क्षेत्र की दिशा सदैव पृष्ठ के अभिलम्बवत् होती है|

समविभव पृष्ठ के गुण(properties of equipotential surface in hindi):

1. समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव समान होता है|

2. दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी प्रतिच्छेद नहीं करते हैं|

3. विद्युत बल रेखाएँ समविभव पृष्ठ के लंबवत होती है|

4. आवेश को समविभव पृष्ठ में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य शुन्य होता है|

5. किसी विद्युत चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है|

समविभव पृष्ठ का उदाहरण(example of equipotential surface in hindi):

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं?समविभव पृष्ठ के उदाहरण और गुण|Equipotential surface in hindi
Equipotential surface 

हम जानते हैं किसी बिंदु आवेश के कारण r दूरी पर विभव का मान

               V = Kq/r  या 

               V = q/4πε0r

यदि किसी पृष्ठ के लिए V का मान नियत हो, तो इसके लिए आवश्यक है कि r का मान समान हो| अब यदि उस बिंदु आवेश को केंद्र मानकर उससे r दूरी पर स्थित सभी बिंदुओं को आपस में मिला दिया जाए तो एक गोले की आकृति प्राप्त होगी जो समविभव पृष्ठ होगा| r  के मान अलग-अलग लेकर विभिन्न गोलीय समविभव पृष्ठ प्राप्त किए जा सकते हैं|

[चित्र में अलग अलग त्रिज्या के तीन समविभव पृष्ठ प्रदर्शित किये गए हैं|]

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