उपग्रह किसे कहते हैं?उपग्रह के प्रकार और उपयोग|satellite in hindi
आज की इस पोस्ट में हम physics (भौतिक विज्ञान) के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक satellite (उपग्रह) के बारे में पढ़ने वाले हैं|
इसमें हम पढ़ेंगे उपग्रह क्या है? संचार उपग्रह( तुल्यकाली उपग्रह या भू-स्थायी उपग्रह) और ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं उनके उपयोग|
उपग्रह की परिभाषा(upgrah ki paribhasha)
ऐसे पिण्ड जो ग्रहों की परिक्रमा करते हैं उन्हें उपग्रह कहा जाता है |उपग्रह के प्रकार(upgrah ke Prakar)
उपग्रह दो प्रकार के होते हैं-1. प्राकृतिक उपग्रह ( natural satellite )
2. कृत्रिम उपग्रह ( artificial satellite)
प्राकृतिक उपग्रह- प्रकृति द्वारा निर्मित उपग्रह को प्राकृतिक उपग्रह कहा जाता है |
उदाहरण- चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है| चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन और 8 घंटे में पूर्ण करता है|
सर्वाधिक प्राकृतिक उपग्रह शनि ग्रह के हैं इनकी संख्या 82 है |
कृत्रिम उपग्रह – मानव द्वारा निर्मित पिंड जो किसी ग्रह (पृथ्वी) की परिक्रमा करता है कृत्रिम उपग्रह कहलाता है |
कृत्रिम उपग्रह भी दो प्रकार के होते हैं-तुल्यकाली या भू-स्थायी या संचार उपग्रह( synchronous or Geo-stationary or communication satellite):
ऐसे उपग्रह जो पृथ्वी के अक्ष के लंबवत तल में पश्चिम से पूर्व की ओर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं तुल्यकाली या भू-स्थायी उपग्रह कहलाते हैं| इन उपग्रहों की ऊंचाई पृथ्वी की सतह से 36000 किलोमीटर होती है तथा इनका परिक्रमण काल पृथ्वी के परिक्रमण काल (24 घंटे) के बराबर होता है|
Communication satellite |
संचार उपग्रह(भू-स्थायी) उपग्रह के उपयोग-
1. मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए2. भूगर्भीय जानकारी प्राप्त करने के लिए
3. टेलीविजन तथा रेडियो कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए
4. वायुमंडल के ऊपरी क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए
5. उल्का पिंडों का अध्ययन करने के लिए
ध्रुवीय उपग्रह ( polar satellite) :
ऐसे उपग्रह जो पृथ्वी के उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवो से होकर गुजरने वाली कक्षा में परिक्रमा करते हैं ध्रुवीय उपग्रह कहलाते हैं |
इनकी ऊंचाई पृथ्वी तल से लगभग 1000 किलोमीटर होती है तथा उनका परिक्रमण काल 2 घंटे से भी कम होता है| इस प्रकार ध्रुवीय उपग्रह 1 दिन में पृथ्वी के अनेक चक्कर लगा लेता है| ध्रुवीय उपग्रह पृथ्वी तल के अधिक समीप होता है अतः इसके अंदर कैमरे लगाकर इसके द्वारा पृथ्वी के अधिक क्षेत्रफल की जानकारी ली जा सकती है|
पृथ्वी तल के किसी स्थान की ध्रुवीय उपग्रह से प्रतिदिन फोटो लेकर उस स्थान पर होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है|
Polar satellite |
ध्रुवीय उपग्रह के उपयोग(dhruviy upgrah ke upyog)-
1. सुदूर संवेदन ( Remote Sensing ) के लिए2. पर्यावरणीय जानकारी प्राप्त करने के लिए
3. मौसम के बारे में पूर्व सूचना प्राप्त करने के लिए
4. जासूसी करने में
भारत द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित कुछ प्रमुख उपग्रह
1. आर्यभट्ट जिसे 19 अप्रैल 1975 को रूस के प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा गया था|2. भास्कर प्रथम जिसे 7 जून 1979 को रूस से छोड़ा गया था|
3. रोहिणी प्रथम जिसे 18 जुलाई 1980 को भारत के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा गया था |
4. रोहिणी द्वितीय जिसे 31 मई 1981 को भारत के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा गया था|
5. इनसैट 1A जिसे 10 अप्रैल 1982 को यू.एस.ए के प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा गया था|
6. इनसैट 1B जिसे 31 अगस्त 1983 को यू.एस.ए से छोड़ा गया था|
7. इनसैट 1C जिसे 22 जुलाई 1988 को फ्रेंच गाइना से छोड़ा गया था|
8. इनसैट 1D जिसे 12 जून 1990 को अमेरिका से छोड़ा गया|
9. इनसैट 2A , 10 जुलाई 1992
10. इनसैट 2B , 23 जुलाई 1993
11. इनसैट 2C , 7 दिसम्बर 1995
12. इनसैट 2D , 4 जून 1997
13. इनसैट 2E , 3 अप्रैल 1999
14. रीसेट-2 जिसे 20 अप्रैल 2009 को भारत के श्रीहरिकोटा केंद्र से जासूसी कार्य के लिए छोड़ा गया|
15. मंगलयान जिसे 5 नवंबर 2013 को श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए छोड़ा गया|
16. चंद्रयान-1 , 22 अक्टूबर 2008
17. चंद्रयान-2 , 22 जुलाई 2019
18. जीसैट-30 , 17 जनवरी 2020
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