आदित्य एल1 और चंद्रयान-3 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर|aditya-L1 and chandryan-3 important questions
आज कि इस पोस्ट में हम भारत के चंद्रमा मिशन चंद्रायन-3 (chandryan-3) और भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 ( Aditya- L1) मिशन के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न पढ़ने वाले हैं|यह सभी प्रश्न आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है|
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Aditya- l1 and chandryan-3 |
Chandryan 3 important question answer in hindi|chandryan-3 mission information
1. मिशन चंद्रयान-3 को कब लॉन्च किया गया था? - 14 जुलाई 2023
2. चंद्रयान-3 को किसने लॉन्च किया? - ISRO
3. ISRO का फुल फॉर्म क्या है? - Indian Space Research Organisation (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन)
4. वर्तमान में इसरो(ISRO) के अध्यक्ष कौन हैं? - एस सोमनाथ
5. चंद्रयान-3 को कहां से लॉन्च किया गया? - सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा)
6. चंद्रयान-3 को किस रॉकेट से लॉन्च किया गया? - LV M3-M4
7. चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करने में कितना खर्च हुआ? - 615 करोड़
8. मिशन चंद्रयान-3 की थीम क्या है? - Science of the moon
9. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर कब लैंड किया? - 23 अगस्त 2023
10. चंद्रयान-3 में चंद्रमा पर कहां लैंड किया? - चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर
11. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला कौन सा देश बन गया है? - पहला
12. चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम क्या है? - विक्रम
13. चंद्रयान-3 के रोवर का क्या नाम है? - प्रज्ञान
Aditya- l1 question answer|भारत का सूर्य मिशन आदित्य L1
1. चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद इसरो अपने अगले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को सितंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च करने वाला है|
2. आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन होगा|
3. इस सैटेलाइट को बेंगलुरु के यू. आर. राव सैटेलाइट सेंटर में बनाया गया है|
4. Aditya-L1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा|
5. Aditya-L1 को सूर्य और पृथ्वी के बीच लैगरेंज प्वाइंट 1 (L1) के चारों ओर हेलो ऑर्बिट में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।
6. Aditya-L1 को लॉन्च होने के बाद 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 4 महीने का समय लगेगा|
7. लैगरेंज प्वाइंट 1 के चारों तरफ एक हेलो ऑर्बिट में होने के कारण इस प्वाइंट पर सूरज के ग्रहण का असर नहीं पड़ता| जिसके कारण वहां पर आसानी से शोध किया जा सकेगा|
8. ADITYA-L1 में अलग-अलग कुल सात पेलोड होंगे, जो सूरज से आने वाली किरणों की जांच करेंगे|
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